जीएसटी रिफंड के लिए शुरू होगा वैलिडेशन सिस्टम, एक्सपोर्ट्स को मिलेगी राहत

फाइनेंस मिनिस्‍ट्री ने एक्‍सपोर्टर्स को राहत देते हुए कहा है कि गुड्स एवं सर्विस टैक्‍स नेटवर्क (जीएसटीएन) सिस्‍टम में एक वैलडैशन (प्रमाण) की व्‍यवस्‍था शुरू की गई है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि एक्‍सपोर्ट गुड्स पर जमा कराया गया इंटिग्रेटेड जीएसटी एक्‍सपोर्टर (आईजीएसटी) द्वारा किए गए रिफंड क्‍लेम से कम नहीं है। एक्‍सपोर्टर्स ने की थी मांग मिनिस्‍ट्री की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उन्‍हें लगातार ऐसे प्रतिनिधिमंडल मिल रहे थे, जो यह मांग कर रहे थे कि एक्‍सपोर्ट पर जमा कराए गए आईजीएसटी रिफंड के सेंक्‍शन की वजह से आ रही परेशानियों को दूर किया जाए, लेकिन जब इन अलग-अलग मांगों को इकट्ठा कर आंका गया तो पता चला कि एक्‍सपोर्ट्स ने जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-3बी को फाइल करते वक्‍त गलतियां की हैं। सीए का सर्टिफिकेट ठीक नहीं ऐसा माना जाता है कि सत्‍यापन के तौर पर एक्‍सपोर्टर्स द्वारा चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) का सर्टिफिकेट दिया जाता है, लेकिन डाटा बताते हैं कि ज्‍यादातर मामलों में इस तरह के वैलडेशन फेल साबित हुए हैं। कस्‍टम विंग बनाएगा लिस्‍ट बयान में कहा गया है कि ऐसा केस, जिसमें पैमेंट की कमी नहीं है, कस्‍टम पॉलिसी विंग द्वारा एक्‍सपोर्टर्स की लिस्‍ट बनाई जाएगी और जुलाई 2017 से मार्च 2018 के दौरान इन एक्‍सपोर्टर्स द्वारा जमा गए जीएसटीआर-वन और जीएसटीआर 3बी का मिलान किया जाएगा। 10 लाख के बाद देना होगा प्रूफ जीएसटीएन द्वारा इन एक्‍सपोर्टर्स को मेल भेजना चाहिए। साथ ही, जीएसटी आफिस को एक सर्टिफिकेट भी भेजा जाना चाहिए। (एक्‍सपोर्टर्स को जीएसटीआर 3 बी में शॉर्ट पेमेंट के समान आईजीएसटी को पेमेंट करना होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जीएसटीआर-1 में पेमेंट किए गए आईजीएसटी को रिफंड के बराबर क्‍लेम किया जा रहा है। यदि 10 लाख से अधिक रिफंड दिया गया है तो एक्‍सपोर्टर्स को पेमेंट का प्रूफ सब्मिट करना होगा।

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