मेडिक्लेम है तो अस्पतालों की चुप्पी से रहें सावधान, जेब से भरना पड़ सकता है हजारों का बिल
क्या आपने मेडिक्लेम पॉलिसी ले रखी है। अगर हां तो कुछ बातें आपके काम की हैं। ये बातें ऐसी हैं कि आपको लगेगा कि इतना खर्च तो एक्स्ट्रा 'झेल' लेंगे, पर हकीकत में वह इतना का इतना सारा बन जाता है कि आपको जेब बहुत ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी। एक केस के आधार पर इसे समझिये। एक केस स्टडी से समझें मामला चंडीगढ़ निवासी केवल तिवारी अपनी पत्नी को लेकर 'फोर्टिस' अस्पताल ले गए। मामला ओवेरियन सिस्ट का था। यानी ओवेरी में सिस्ट था। तमाम जांच के बाद इसका पता चला था। गायनोकोलोजिस्ट ने कहा कि ऑपरेशन होगा। मेडिक्लेम पॉलिसी थी। अस्पताल से पूछा तो बताया गया कि 75 हजार खर्च आएगा। इसमें सर्जरी और अस्पताल में रहना शामिल है। जब प्रोसेस शुरू किया तो अस्पताल ने बताया कि ऑपरेशन के बाद अस्पताल में रुकने के लिए रूम के तीन स्लैब हैं। एक पूरा प्राइवेट रूम 8 हजार रुपये, एक शेयरिंग वाला साढ़े पांच हजार रुपये और वार्ड का चार्ज 4 हजार रुपये। व्यक्ति ने सवाल पूछा, 'क्या वार्ड में तीमारदार रह सकता है' अस्पताल ने कहा, 'नहीं।' उस व्यक्ति ने साढ़े पांच हजार रुपये वाले शेयरिंग रूम के लिए हामी भर दी। मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत वह 5 हजार रुपये तक रेंट वाला रूम ले सकता था। उसके मन में था कि अगर चार दिन भी रुकना पड़े तो दो हजार रुपये अतिरिक्त देने होंगे तो दे देंगे। बिल आया 1.40 लाख तीन दिन रुकने के बाद बिल आया एक लाख 40 हजार के करीब। यानी उनके बताये हुए पैकेज का लगभग दोगुना। मेडिक्लेम वाली कंपनी ने एक लाख तीन हजार पास किया। अस्पताल ने डिस्चार्ज के समय 37 हजार रुपये और मांगे। केवल तिवारी परेशान। उन्होंने मेडिक्लेम इंश्योरेंस देने वाली कंपनी से बात की। वहां से बताया गया कि आपने अपने एनटाइटलमेंट से ज्यादा का रूम लिया। व्यक्ति ने कहा कि तीन दिन का वेरियेशन डेढ हजार बना। कंपनी ने बताया कि नहीं, अस्पताल वालों ने रूम के हिसाब से हर चीज के रेट ज्यादा लिये हैं।
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